Sunday, September 9, 2018

अंटलाटिस द्वीप सभ्यता कि विनाश के रहस्य की कहानी

अटलाटिस की लुप्त सभ्यता के रहस्य की कहानी

साढ़े तीन हजार साल पहले की एक शाम अटलांटिस द्वीप पर बसा हुआ नगर हमेशा की तरह दिन भर का काम काज समाप्त करके रात बिताने की तैयारिया कर रहा था। नगर की पतली गलिया हसते और आपस में बाते करते नागरिकों से भरने लगी थी। औरते अपने घरो के दरवाजो पर बैठी गप्पे मार रही थी। वातावरण शांत था और मौशम का मिजाज भी अनुकूल ही था। अचानक पूरे नगर को एक विचित्र तरह की गर्मी ने अपने लपेट में ले लिया । द्वीप के आस पास का समुद्र सीसे के रगं का हो गया और धरती की गहराइयो से थरथराहट की दबी-दबी आवाजे आने लगी। पहले ये आवाजे रुक रुक कर आई फिर लगातार सुनाई देने लगी। द्वीप निवासी घबरा गए। उन्हे डर था कि उनके द्वीप का 5000 फुट उॅंचा ज्वालामुखी फट पडने को हैं। उन्हे लगा कि धरती हिला देने वाली ताकतो का मालिक उनका देवता लम्बी निद्रा से जागने वाला है।
इतना समझने के बाद भी अटलांटिस द्वीप के वासी यह नहीं समझ पाए कि पृथ्वी के गर्भ से आने वाली ये आवाजे उनके द्वीप, उनके नगर और उनकी समूची सभ्यता के विनाश की आहटे हैं। यही हुआ। पहले दम घोट देने वाला गहरा धुआ उठा, फिर सुलगते हुए पत्थरो की वर्षा हुई और उसके बाद चारो तरफ आग उड़ने लगी। ज्वालामुखी का गर्भ अचानक दबाव से फट गया। वह लाखो टन की ठोस चट्टानो की वर्षा करता हुआ अपनी ही जगह पर धस गया, जिसकी वजह से एक 37 मील लम्बा-चौड़ा गड्ढ़ा बन गया। इस गढे का भरने के लिये समुद्र की लहरे चारो और से टुट पडी।

वैज्ञानिक व ज्वालामुखी विशेषज्ञो का अनुमान


आज के वैज्ञानिक व ज्वालामुखी विशेषज्ञो का अनुमान है कि 500 से 1000 परमाणु बम की ताकत के बराबर विस्फोट क्षमता से वह ज्वालामुखी फटा होगा। काली राख की वर्षा के कारण उस समुद्र के आकाश पर कई सप्ताह तक रात जैसा अंधेरा बना रहा। उस राख के अवशेष आज भी बचे खुचे द्वीप पर देखे जा सकते है। इस बचे हुऐ द्वीप का प्राचीन समय में युनानियों ने कलिस्ट का नाम दिया था।
अंटलाटिस द्वीप व एतिहासिकता का केवल एक हि सर्वमान्य प्रमाण उपलब्द है। यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने अपने शिष्या के साथ बातचीत में इस द्वीप, उसकी सभ्यता व उसके विनाश के कारणो का विर्स्तत उल्लेख किया है।
प्लेटो के अनुसार इस नगर मे तरह तरह की कीमती वस्तुओ, विभिन्न प्रकार के जानवर और मवेशि, तांबा की मिश्र धातु व अन्य खनिज पदार्थो से भरा पडा था।
पुरा शहर 5 खण्डो में बटा हुआ था, जो र्वताकार रुप से व्यवस्थित थे इसके विभिन्न बंदरगाह नहरो द्वारा जुडे हुऐ थे। शहर के बिच में एक विशाल महल व मंदिर था। इन दोनो के शीर्ष सेने व चांदी से मढे हुऐ थे। सोने से बने हुए सात पखदार घोडो के रथ पर सवार इस शहर का देवता पोसीडोन मंदिर मे स्थापित था। भुकम्प के इस देवता की पुरे नगर में पुजा की जाती थी।
प्लेटो के वर्णन में आगे बताया गया है कि हर विकसित सभ्यता की तरह अटलाटिस के पतन के दिन भी आऐ और वहां के निवासी साम्राज्य,शक्ति और धन-धान्य की पूजा करने लगे। अटलांटिस की फौज आक्रमण और युद्ध के अभियान पर निकल पडी। उन्होने भुमघ्य सागर की तटवर्ती बस्तियो के निवासियो को अपना गुलाम बना लिया लेकिन ऐथेंस वासियो के सामने एक ना चली। ऐंथेस की फौज ने अटलाटिस की फोजो को हरा कर भगा दिया लेकिन अटलाटिस के नैतिक पतन का दण्ड अभी अधूरा था। इसके बाद भीषण भूकम्प और बाढ़ो ने एक ही रात में अटलाटिस को अपने आगोस में लेकर तबाह कर दिया।
प्लेटो के अनुसार 12 हजार साल पहले जिब्राल्टर के जलडमरुमघ्य के आस पास अटलाटिस का अस्तित्व था। यही से शुरु होती है अटलाटिस की लुप्त सभ्यता के रहस्य की कहानी। प्लेटो की बातचीत में अटलाटिस की कहानी मुख्य रुप से उनके भतीजे क्रिटियास द्वारा सूनाई गई, जिनके बारे में स्व्यं प्लेटो के गरु सुकरात ने कहा था यह एक तथ्य हे न कि केवल कहानी। क्रिटियास का यह भी दावा था कि उसने यह कहानी अपने परबाबस डोरपिडस से सुनी थी और उसने इसे युनानी इतिहास में अपनी इमानदारी के लिये प्रसिद्व सोलन से सुना था। सोलन सबसे विख्यात विधि निर्माता तथा यूनान के सात महान संतो में सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता था। सोलन 640 ईसा पूर्व से लेकर 558 ईसा पूर्व तक जीवित रहा। इसके दो सो वर्ष बाद प्लेटो ने यह कहानी लिखी।

Thursday, September 6, 2018

indian village unik and romantic

Indian villages are deeply rooted in their traditions and some are dangerously blinded by them, agreed.